अब खाली हांडी
चूल्हे पर चड़ेगी।
माँ उस हांडी मे
करछी घुमाएगी।
ताकी बच्चों को लगे
आज कुछ खाने को मिलेगा।
इस बंजर धरती पर कोई फूल खिलेगा।
जल्दी ही वह समय आएगा
जब दुनिया भर के गरीबो को
नेताओ से
ऐसा ही आश्वासन मिलेगा।
बिना कपडे के उन के लिए सूट सिलेगा।
यह भविष्य का सच है
आने वाले समय में
गरीब और अमीर के बीच की खाई
जल्दी मिट जाएगी।
क्यूँकि
गरीब की गरीबी ही उसे खाएगी।
5 टिप्पणियाँ:
वाह भई, सुन्दर प्रस्तुति है!
bahut khoob . shukriya blog par dastak dene ke liye .
हो प्याला गर गरल भरा भी
तेरे हाथों से पी जाऊं
या मदिरा का प्याला देना
मैं उसको भी पी पाऊँ
प्यार रहे बस अमर हमारा
मैं क्यों न फ़िर मर जाऊं
आपकी रचना बेजोड़ है बहुत संवेदन शील चिंतन को उकेरती कविता
स्वागत और बधाई
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