Monday, December 1, 2008
शराब चीज ही ऐसी है
इस गीत में शराब के बारे में बताया गया है।कि वह छूटती नही।लेकिन अगर छूटेगी नहि तो क्या हो सकता है इस मुक्तक में पढे-
शराब पी के गरीब भी जन्नत के मजे लूटे है।
पीने वाला इसे हर शख्स गम से छूटे है।
यह अलग बात है ज्यादा पीनें वालो के लिए,
किसी नालें में गिरनें से उसके दाँत टूटे है।
7 टिप्पणियाँ:
बहुत खुब.
धन्यवाद
परमजीत जी, गीत के लिए धन्यवाद! परन्तु इस समय प्लेयर नहीं दिख रहा है, फ़िर आकर सुनना पडेगा शायद!
बहुत खूब परमजीत जी
शराब चीज ही ऐसी है
अच्छी रचना
अच्छी रचना.परमजीत जी, अक्सर ऐसे भद्रपुरुष,सडकों पर झूमते हुये दिखाई दे जाते है.
क्या बात है बाली जी.... अनुभवी मुक्तक.
वाह वाह!! शराब मुई चीज ही ऐसी है.
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