Thursday, December 20, 2007

आप क्यों नही मानते कि जादू-टोनें हो सकते हैं?


"मुझ पर भी किया गया जादू-टोना" इस पोस्ट को पढ़ कर बहुतों ने टिप्पणीयां की। शायद उन्हें लगता है कि ऐसा नही हो सकता । इस लिए सभी ने यही कहा कि यह नही हो सकता।आज के इस मशीनी युग में ,विज्ञान के युग में,इस तरह जादू-टोनों की बात करना। वह भी एक पढे-लिखे इंसान के द्वारा!!यह बात किसी को हजम नहीं हुई। शायद सिवा मेरे! मैं तो मान सकता हूँ कि वह सच कह रहे होगें। उन की बात सच हो सकती है। जबकि मैं जानता हूँ कि मुझे भी हमारे यहाँ हाइ-टेक गण्डे तावीज आदी ... वालों का सुझाव आ जाएगा। लेकिन क्या करूँ?.....मैं जरा अलग ढंग से सोचता हूँ। क्या ऐसा नही हो सकता कि हम अभी इस विषय पर अज्ञानी होनें के कारण या इस विषय की जानकारी ना होनें के कारण इसे नकार रहे हो? हो सकता है यह सच हो?....कल तक जहाजों का उड़ना,मोबाइल से बात करना, दूरदर्शन....सभी कुछ हमारी पहुँच से बाहर था। लेकिन आज सभी कुछ हमारे सामनें है। सम्मोहन द्वारा आज कई देशों -विदेशों में मानसिक रोगीयों का ईलाज किया जा रहा है..हाथों के स्पर्श द्वारा इलाज किया जा रहा है क्या वह सब भी आप नकारते हैं?.....जिस इनसानी दिमाग ने विज्ञान के बड़े-बड़े आयामों को छूआ है जो कभी हमारी सिर्फ कल्पना के दायरों तक सीमित थे आज हमारे सामनें साकार रूप से उपस्तिथित हैं। तो इसे क्यों नकार रहे हैं। उन सभी अविष्कारों का जन्म भी इसी बुद्धि की उपज ही तो है...जो आज इन जादू टोनों को स्वीकार रही है। फिर आप इसे एक्दम से कैसे नकार देते हैं? जिस बात या जानकारी से हम नितांत कोरे होते हैं....उसे ना माननें या नकार देने से वह नही है या नही हो सकती,ऐसा मान लेनें से वह झूठ नही हो जाएगी। यदि वह है तो है...और यदि वह नही है तो हो नही सकती। हम अध्यातम के विषय में कितना जानते हैं...इस मन और इसकी शक्तियों के बारे में कितना जानते हैं अभी?.....शायद बिल्कुल ना के बराबर। यह विषय बहुत गहरा है...इसे समझनें के लिए अभी बहुत समय लगेगा।

Monday, December 17, 2007

खुदा और बकरे में लड़ाई.....सभी उसी की खोज मे हैं...


बकरा हेरान हो रहा है। बकरीद के मुबारक दिन वह शहीद हो जाएगा। शायद वह सोच रहा होगा कि उसे खुदा से बात करने का जो मौका मिलेगा ...अगर मिला तो...वह उस से जरूर पूछना चाहेगा...कि आखिर उसे क्यूँ मारा गया?...खुदा उसे क्या कहेगा? मैं नहीं जानता?......उस की बातें वही जानें?...उस की मरजी के बिना पत्ता भी नही हिलता!!!......फिर इस में इंसान की गलती कैसे हो सकती है?.....वह जो इन्सानों से करवाना चाहता है वही तो करवा रहा है....करवाता रहेगा...इस से कही किसी को फरक नही पड़्ने वाला।इस लिए मुझे भी कोई परेशानी नही होती....आज जो यहाँ लिखा जा रहा है...वही तो लिखवा रहा है......इस को पढ़ कर जो मुझे गालीयाँ देगें....उन्हें वह गालीयाँ देनें का हक वही खुदा तो देगा....}आप सोच रहे होगें कि यह सब क्या और क्यूँ लिखा है.....असल में अभी-अभी मैनें ख़ुदा और बकरे मे लडाई वाली पोस्ट देखी...जो एक्दम खाली थी......वहाँ कुछ टिप्पणीयाँ की गई हैं...पहली टिप्पणी.....on 17 Dec 2007 at 11:37 am 1.अरूण said …ये लडते लडते कहा चले गये शुहैब जी
सच पूछा है अरूण जी ने मैं भी यही सोचने लगा........लेकिन फिर सोचा यह लड़ाई तो जब से दुनिया बनी है शायद तभी से चल रही होगी....और जब कोई उन्हें खोजनें निकलता होगा तो उसे यही प्रश्न पूछना पड़्ता होगा।लेकिन आज तक इस का उत्तर मिला या नहीं......कोई नही जानता.....क्यूँ कि वह आज भी कहीं लड़ रहे होगें.....और शायद उस बकरे की जगह हम हो ही हो?....हो सकता है ना...?
दूसरी टिप्पणी-on 17 Dec 2007 at 12:12 pm 2.संजय बेंगाणी said …कहाँ गया गोड?….बकरे से डर कर….अम्मा यार खुदा का दिदार करने आये और यहाँ खाली स्थान मिला…चलो भाई इंतजार है.
बहुत सही पूछा आपने भी ...संजय जी...सच है गोड बकरे से डर कर ही कही भागा होगा.... नही तो अभी तक सभी इंसानों को उस पर यकीन आ चुका होता ...कि वह है।...लेकिन ऐसा अभी नही है अभी भी कई लोगों को यकीन नही है कि खुदा नाम की कोई शै या यूँ कहें शक्ति इस दुनिया मे मौजूद है???
तीसरी टिप्पणी- on 17 Dec 2007 at 12:19 pm 3.अजित वडनेरकर said …सब कुछ खुदा पड़ा है, खुदाई बर्रा रही है और खुदा लापता है…..
अजित जी आप की टीप्पणी पढ़ कर कबीर जी की याद हो आइ...
मोको कहाँ ढूंढे रे बदें मै तो तेरे पास में......

Friday, November 23, 2007

गुरु नानक देव गुरुपर्व पर...पढ़े...

गुरू नानक देव जी का जन्म १४६९ को १५ अप्रेल को पंजाब के तलवंडी नामक एक गाँव में हुआ था। जो अब पाकिस्तान में है।उन का जन्म एक हिन्दू परिवार में हुआ था।उन के पिता का नाम मेहता कालू था और माता का नाम माँ तृपता जी था। उन की एक बड़ी बहन थी जिसका नाम बीबी नानकी जी था।..................

इस पोस्ट को पढनें के लिए कृपया साधना पर किलकाएं।

Monday, November 19, 2007

हम कब कहेगें"गर्व से कहो हम भारतीय हैं"(भाग-१)

कुछ दिनों पहले एक पोस्ट पढ़ी थी जिस में हिन्दूओं को एक"हिन्दू आर्मी" में भरती होने का आवाहन दिया जा रहा था। ताकी हिन्दू धर्म की रक्षा हो सके। इसी तरह एक अन्य पोस्ट पर लिखा था "गर्व से कहो हम हिन्दू हैं।" पढ़ कर अजीब -सा एहसास हुआ। मैं पूछ्ना चाहता हूँ कि किस बात का गर्व करें हम हिन्दू हैं? क्या इस बात का कि देश में सर्वाधिक हिन्दू होनें के बावजूद भी देश में संप्रदायी जहर बढ़्ता जा रहा है फैलता जा रहा है या अपने ऐसे नारों से दूसरे अल्पसंख्यकों में भय का संचार करते रहनें का? यह सब पढ़ कर सोचनें को मजबूर हुआ कि क्या जिस देश को हम धर्मनिरपेक्ष देश कहते हैं, क्या यही वह धर्म निरपेक्ष देश है? जिस पर कभी सभी को गर्व था। क्या इस तरह की बातें यह साबित नही करती कि यहाँ धीरे-धीरे भीतर ही भीतर कोई आग सुलग रहा है? एक जहर घोला जा रहा है। यह जहर मात्र एक कौम या सिर्फ एक फिरका नही घोल रहा,बल्कि सभी कौमों और फिरकों द्वारा फैलाया जा रहा है।
कहीं मुसलमान कश्मीर की आजादी की बात कर के फैला रहा है तो कही विदेशों मे बैठे सिख खालिस्तान की आवाज उठा कर फैला रहे हैं। तो कहीं ईसाई मिशनरियां धर्म प्रचार का नाम लेकर हिन्दू ओं के धर्म परिवर्तन का ऎजैडा चला कर फैला रही हैं। गरीब व लाचार हिन्दू भाई-बहनों को साम,दाम,दंड व भेद की निति के आधार पर उन का धर्म परिवर्तन करवा कर हिन्दू समाज को नीचा दिखानें की कोशिश कर रही हैं। सभी अपनें -अपनें ढंग से यह जहर अपनें देश में घोलते जा रहें हैं। हमें इन बातों से शर्मिदा होना चाहिए कि गर्व करना चाहिए? यह सब हमारे अपने उस देश में हो रहा है जिस कि आजादी के लिए सभी ने मिलकर एल साथ इंकलाब का बिगुल बजाया था। जिस के लिए सभी कौमों नें मिल कर खून बहाया था। उसी देश में आज जो जहर घुलता जा रहा है उसे देख कर हम सभी भारतीय को चुल्लू-भर पानी में डूब मरना चाहिए। लेकिन हमें तो यानि कि सभी कौमों को अपनें -अपनें पर गर्व हो रहा है। हिन्दू छाती ठोंक कर कहना चाहता है कि "गर्व से कहो हम हिन्दू हैं"
वहीं मुस्लमान यह एह्सास कराना चाहता है कि "कश्मीर की आजादी के लिए जिहाद करने वाला मुसलमान ही सच्चा मुसलमान है।"वही ईसाई मिशनरियों को इस बात का गर्व है कि वह गरीब व मजलूमों को लालच व फरेब देकर ईसाई धर्म में ला कर बहुत नेक काम कर रहे हैं। और विदेश में बैठे सिखों को गर्व है कि वह खालिस्तान का जो बिगुल बजा रहें हैं वह एक दिन जरूर रंग लाएगा।(शेष अगले भाग में पढ़े)

Wednesday, July 25, 2007

पराविज्ञान परिचर्चा

क्या भूत-प्रेत व आत्माएं होती हैं ? आप क्या विचार रखते हैं ?
क्या मंत्रो मे शक्ति होती है?

सभी ध्रर्म-ग्रन्थ आत्मा का अस्तिव स्वीकार करते हैं । श्रीगीता में भगवान श्रीकॄष्ण ने आत्मा को अजर-अमर माना है ।कुरान ऒर बाइबल भी आत्माओं को स्वीकारते हैं। फिर भी भूत-प्रेतों,जिन्नों को माननें वालों को अन्धविश्वाशी कहा जाता है ।क्या धर्मग्रन्थों की कही बातें झूठी हैं? कृपया बताएं ।

मै इस की जानकारी चाह्ता हूँ । इसी लिए मैनें इस प्रश्न को परिचर्चा में भी उठाया है । क्यूँकि हम जिन धार्मिक ग्रन्थों का संम्बल लेकर चल रहे हैं उन की कसोटी इस बात पर निर्भर करती है कि ये कही बातें सत्य है या असत्य । आज इन बातों को गंभीरता से लेना होगा । इसे मात्र अंधविश्वास कहना गलत होगा । इन्हें गलत कहनें का सीधा अर्थ होगा कि जिस का संम्बल लेकर हम चल रहे हैं वह सब भी गलत है। हमारे धार्मिक ग्रंथ मंत्रों से भरे पडे़ हैं ।जैसे- गायत्री मंत्र, प्रणव मंत्र और भी ना जानें हजारो-हजार मंत्र भरे पड़े हैं हमारे ग्रन्थों में । साथ में इस बात का भी दावा है कि मंत्रों में शक्ति होती है । इनसे आपकी कई समस्याओं का समाधान भी होता है । क्या ये असत्य है ? यदि ये सब गलत है तो हम किस दिशा की ओर जा रहे हैं ? तब हमारी आस्था का क्या होगा ?

आप सोच रहे होगें आज कम्पयूटर के युग में मैनें कौन-सा विषय चुना है । मेरा इस विषय को चुननें का कारण मात्र इतना है कि मैं इसे अन्धविश्वास नही मानता, बल्कि इसे भी एक विज्ञान मानता हूँ ।मंत्र विज्ञान वास्तव में ध्वनि-विज्ञान है,जो विभिन्न प्रकार की ध्वनियों को एक विशेष संयोजन मे रखकर उच्चारित करनें से एक विशेष प्रकार की शक्ति का प्रभाव उत्पन्न कर देता है जो हमारे अनुकूल परिस्थितयाँ उत्पन्न करनें में सहायक होता है।अब यह साधक के विवेक पर निर्भर करता है कि वह इस शक्ति का प्रयोग कैसे करे।
आईए सब मिल कर इस परिचर्चा मे हिस्सा लेकर अपना-अपना विचार रखे।
कृपया निम्न लिकं पर जाएं-



http://www.akshargram.com/paricharcha/viewtopic.php?id=810

http://www.akshargram.com/paricharcha/viewtopic.php?id=1069