Tuesday, September 13, 2011

सुखी कौन....


इस दुनिया मे हर तरफ दुख ही दुख दिखता है। ऐसा कोई आदमी नही जो पूरी तरह से सुखी हो। जिसे कोई ना कोई दुख ना हो। किसी को धन न होने का दुख.......किसी को शरीरिक रोग का दुख........किसी को संतानहीन होने का दुख......किसी को असफलता के कारण दुख.........किसी को बिगड़ेल बच्चो का दुख........कहने का मतलब है कि हरेक को कोई ना कोई दुख है।
फिर सुखी कौन है??? 
जरा जानिए.....




पति अपनी पत्नी से- 
भाग्यवान!  क्या तुझे पता है ......इस दुनिया में दो तरह के लोग हैं.... जो पूरी तरह से सुखी है।
पत्नी- कौन -कौन से?
पति- एक तो वह जो अभी पैदा नही हुए....
पत्नी- और दूसरे...?
पति- जो अब तक मर चुके हैं।

Monday, February 14, 2011

एक बीमार की गजल


बहुत दर्द है कमर में ना नींद आती है।
रात भर खाँसी हमको बहुत सताती है।

कोई दवा ना दुआ का असर हो रहा है आज
जब किस्मत फूटती है ऐसी हो जाती है।

मगर लिखने का है जो रोग कुलबुलाता है
बीमारी भी गजल बन के हमको सताती है।

शायद गजल पढ़ किसी की दुआ लग जाये
इसी उम्मीद में बैठें हैं किस्मत क्या दिखाती है।





Wednesday, January 5, 2011

भाईचारा



जब- जब
देश में दंगे होते हैं

हमारे नेता-
अपने-अपने लोगो से कहते हैं-
भाईचारा रखें।
उन के अनुयायी
हमेशा ऐसा ही करते हैं।
सदा इसका ही दम भरते हैं।


मुस्लिमों के लिये
हिन्दू भाई 
चारा बन जाते हैं
और हिन्दू भाईयों के लिये 
मुसलमान भाई 
चारा बन जाते हैं।
हमारे ये नेता
इसी तरह भाईचारा फैलाते हैं।
फिर हमारी बेवकूफियों पर मुस्कराते हैं।