बहुत दर्द है कमर में ना नींद आती है।
रात भर खाँसी हमको बहुत सताती है।
कोई दवा ना दुआ का असर हो रहा है आज
जब किस्मत फूटती है ऐसी हो जाती है।
मगर लिखने का है जो रोग कुलबुलाता है
बीमारी भी गजल बन के हमको सताती है।
शायद गजल पढ़ किसी की दुआ लग जाये
इसी उम्मीद में बैठें हैं किस्मत क्या दिखाती है।