Saturday, November 1, 2008

आश्वाशन

अब खाली हांडी
चूल्हे पर चड़ेगी।
माँ उस हांडी मे
करछी घुमाएगी।
ताकी बच्चों को लगे
आज कुछ खाने को मिलेगा।
इस बंजर धरती पर कोई फूल खिलेगा।

जल्दी ही वह समय आएगा
जब दुनिया भर के गरीबो को
नेताओ से
ऐसा ही आश्वासन मिलेगा।
बिना कपडे के उन के लिए सूट सिलेगा।


यह भविष्य का सच है
आने वाले समय में
गरीब और अमीर के बीच की खाई
जल्दी मिट जाएगी।
क्यूँकि
गरीब की गरीबी ही उसे खाएगी।

5 टिप्पणियाँ:

Vinay said...

वाह भई, सुन्दर प्रस्तुति है!

Renu Sharma said...

bahut khoob . shukriya blog par dastak dene ke liye .

प्रदीप मानोरिया said...

हो प्याला गर गरल भरा भी
तेरे हाथों से पी जाऊं
या मदिरा का प्याला देना
मैं उसको भी पी पाऊँ
प्यार रहे बस अमर हमारा
मैं क्यों न फ़िर मर जाऊं

आपकी रचना बेजोड़ है बहुत संवेदन शील चिंतन को उकेरती कविता
स्वागत और बधाई

Emily Katie said...

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Emily Katie said...

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