
फिर मरेगा। जानता हूँ कभी अपनी पूरी उमर उसने कब जी है।बस! जन्मता है और फिर मौत की ओर बढने लगता है।मैं सोचता ही रह जाता हूँ कि कुछ समय बाद इसे सवाँर सजा कर सब के सामने रख दूँगा।लेकिन क्या कभी हमारा सोचा पूरा होता है?..हाँ शायद कभी कभी हो जाता है..लेकिन जब तक वह पूरा होता है तब तक अपनी इच्छा ही मर जाती है। ऐसे मे उस का पूरा होना ना होना कोई महत्व नही रखता।
अभी कुछ दिनो की ही तो बात है मैनें सोचा मैं वह सब करूँ जो मेरे भीतर चलता है। मैनें कोशिश भी की ।लेकिन मेरे दोस्तों ने कहा ......यह क्या कर रहे हो? ......यह तुम्हारे से मेल नही खाता...........हमे तुम से यह आशा नही थी कि तुम इस तरह भी कर सकते हो।............अब ऐसे में मैं बेबस हो जाता हूँ.....सोचता हूँ यदि अपने मन की करूँ तो दोस्त छूटते हैं.......और ना करूँ तो अपने भीतर उठते सपनों को...उमंगो को मारना पड़ता है। यह क्रम हरेक के जीवन में शायद ऐसे ही चलता रहता है। हम करने और ना करने के बीच और कभी ना कर पाने की जद्दोजहद मे ही अपने आप को फँसा पाते हैं।
बस! ऐसे ही तो हमारे सपने मरते जाते हैं....और हम नित नये सपनों को सजाते है.........जिनमे कुछ लोग ही ऐसे खुश किस्मत होते हैं जिन के सपनों को कोई मंजिल मिल पाती है।.....क्या कभी आपने ऐसा सपना पूरा करने की कभी सोची है जो सिर्फ तुम्हारा ही हो.....जिस मे दूसरा कोई शामिल ना हो ?...... जिसे सिर्फ तुम अकेले ही जीना चाहते हो.............मैं उसी सपने की तलाश मे हूँ.................यदि आप को वह कहीं मिल जाए तो मुझे जरूर बताना।.........
12 टिप्पणियाँ:
बन्धुवर ,
मेरे विचार से तो सपने अपने लिऐ नहीं , दूसरों के लिऐ देखने चाहिऐ। खुशियां अपने लिऐ नहीं दूसरों के लिऐ ढूंढो अपके सपने और आपकी खुशियां अपने आप ही आपके पास आजाऐगें। ऐसा मेरा मानना है.....!
सपनों का मोहक संसार जो सिर्फ़ अपना हो, कल्पना तो सुखदायी है पर अफ़सोस कि यह हकीकत नहीं बन पाता।
bahut khub dsot
bबाली जी बहुत ही गंभीर विषय है शायद मैने तो कभी सोचा ही नहीं कि कोई सपना केवल अपना हो सकता है आज एक नये विचार ने जन्म लिया है सोचूँगी अगर मिला तो आपसे फिर बाँटूँ गी मै तो जो भी सपना देखती हूँ उसमे कहीण न कहीं से कभी ना कभी कोई ना कोई परछाई जुड ही जाती है बहुत छिन्तन शील विश्य है आभार््
YE JO JEEVAN HAI NAA YE BHI TO KAI RANGON BHARA SWAPAN HI TO HAI JO HUM , AAP , SABHI AKELE HI TO JEE RAHE HAI BAAKI SAB TO SAPNE KE RANG HI HAIN ........!
सपने किसे प्रिय नहीं होते। आपका सपना, सबका सपना, हम सबका सपना पूरा हो, यही दुआ है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
गुरू मैं तो यही कहूंगा कि आप दार्शनिक टाइप के हो गए हैं और सन्यास की ओर बढ़ रहे हैं। थोड़ा बीबी, बच्चों, परिवार और दोस्तों में समय लगाइयो नहीं तो स्थिति खराब ही समझिए।
spne ko prbshit karna hoga .ak spna vo hai jo ham need me dekhte hai .ak spna (jo khuli ankho se dekhte hai )jo hmari sirf soch hoti hai .
अपने शहर में सहज योग का ध्यान केन्द्र ढ़ूढ़े और फिर सत्य से रूबरू हो कर आनन्दित रहें।
Apne antradvandvon ko chitan mein parivartit kar , apne nishkarsh svayam talash karke , apnee raah par chal den.
ईश्वर से यही कामना है कि आपका समना अवश्य पूरा हो।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
Hi,
Thank You Very Much for sharing this helpful article here.
Health Care Facts | Health Facts | Fitness Tips | Junagadh
Post a Comment