
पीपल को बहुत ही पवित्र वृक्ष माना जाता है। कहते हैं कि इसे ब्रह्मा जी ने अपनी कठोर साधना के बल पर धरती पर उतारा था। इस वृक्ष का उपयोग आयुर्वेद में कई रोगों को दूर करनें में काम आता है। कहा जाता है कि इस वृक्ष की परिक्रमा करनें से ही मनोंकामना पूरी हो जाती है। लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि इस पर देवताओं व भूतों-प्रेतों का भी वास होता है।
लेकिन यहाँ पर मैं आपको कुछ और ही बतानें जा रहा हूँ। संयोग कहिए या दुर्योग, इस पीपल नें हमारा साथ कभी नही छोड़ा। हम जहाँ भी जाते रहे हैं। यह पीपल देवता वहीं हमारी छत की शोभा बड़ानें प्रकट हो जाते हैं। कई बार इस से पीछा छुड़ानें के लिए इसे जड़ समेत उखाड़ फैंका, लेकिन पीपल देवता कुछ दिन अंतर्ध्यान रहनें के बाद फिर-फिर प्रकट हो जाते हैं। इसे हटा -हटा कर जब परेशान हो गए तो वह मकान ही बदल लिया।
आज से कुछ वर्ष पहले लिए मकान को जब हम देखनें आए तो सब से पहले हमनें छत पर जा कर देखा कि कहीं यहाँ पीपल देवता तो विराजमान नहीं हैं।जब हमें पूरी तरह विश्वास हो गया कि यहाँ वह कहीं भी नजर नहीं आ रहे तब हमनें उस घर को अपना निवास बनाया। लेकिन कुछ वर्षों बाद उस मकान की छत पर भी पीपल देवता प्रकट हो गए। अब तक हम उन्हें बीसीयॊं बार काट-काट कर थक चुके हैं। लेकिन वह वहाँ से हटनें का नाम नहीं ले रहे हैं। क्या आप के पास कोई उपाए है इस से बचनें का? कृपया पीपल देवता के सताए एक प्राणी की मदद करें!
8 टिप्पणियाँ:
परमजीत जी क्यो परेशान होते हो इस का ईलाज हे ना, ओर पक्का इलाज हे, अगर आप ने मकान खरीदा हे तो मुझे दान मे देदो, मे खुदी इस पीपल को ऊखाड दुगा, आप दुसरा लेलो :)
मजाक नही अब सही बात,यह पीपल ज्यादा तर मकान की दरारो से निकलता हे किसी तरह से इस का बीज दरारो मे घुस जाता हे, जब भी आप मकान मे खास तोर पर छत पर दरार देखे तो उस मे सीमेन्ट भरबा दे लेकिन सीमेन्ट भरने से
पहले पीपल को जड से हटा दे, हो सके तो थोडी दिवार उखडावा कर दोवारा बनबा दे, रेता बगेरा मे कही भी जड वगेरा ना हो,एक ओर तरीका चाणक्या जी का, जब उस पीपल को उखाड दे तो वहा थोडा पानी डाल कर बाद मे चीनी डाल दे चीटीया चीनी के साथ साथ बची जड भी चट कर जाये गी,
किसी पडिंत वगेरा के चक्कर मे मत पडे.
बाली साहब , वैसे तो हमारे बड़े भाई साब भाटिया जी ने सारी बात बता दी है ! वही सच है ! मेरा निजी अनुभव आपको बता रहा हूँ ! आप चाहें तो वैसा कर सकते हैं !
मैंने एक पुराना मकान खरीदा था ! उसमे दो तीन् पेड़ छोटे छोटे छत पर थे वो तो भाटिया साहब वाले फार्मूले से ख़तम हो गए ! पर एक पेड़ पीछे दीवार में उगा था ! और काफी बड़ा था ! बहुत कोशीश की गई पर बात बनी नही ! और फ़िर मुझे किसी ने बताया की यह इतना मजबूत वृक्ष होता है इसीलिए इसकी इतनी महिमा कही है ! यह उगता कैसे है ? इसके बीज इसके छोटे छोटे फलों में असंख्य मात्रा में होते हैं ! इनको पक्षी खाता है फ़िर उसकी बीट द्वारा कोई बीज अन्कुंरित होकर जहाँ भी गिर जाए , भले ही वो पत्थर पर ही गिरे ! वह उग जायेगा ! यह सारी प्रक्रिया हमारे आस पास तोते, कबूतर आदि की बीट द्वारा पूरी होती है ! इतनी विषम स्थितियों में यह जन्मता है तो मजबूत तो होगा ही ! अगर इसके
सारे बीजों से पेड़ बन जाए तो धरती पर इस पेड़ के
अलावा कुछ होगा ही नही !
इसीलिए प्रकृती ने इतने प्रसंस्करण के बाद इसका
जनम तय किया है ! मेरा ये सब यहाँ लिखने का
मतलब ये है की आप इसे कोई जादू टोना नही
समझे और स्वाभाविक तौर पर ले !
मैंने इस पेड़ के आसपास का सारा प्लास्टर उतरवा
दिया ! फ़िर जितना सम्भव हो सका इसकी जड़े
निकलवा कर उस जगह पर असिड प्योर जितना
शुद्ध मिल पाया वो छिड़कावा दिया ! ७ रोज डेली डलवा कर फ़िर प्लास्टर करवा दिया ! आज १५ साल हो गए फ़िर कभी नही उगा ! और सब कुछ आनंद हैं ! कहीं कोई परेशानी नही है ! आप भी कर सकते हैं !
हम तो उन्हें उखाड़ कर दही के कूंडों में दोबारा जमा देते थे. बहुत खूबसूरत बोनसाई बन जाती थी. फ़िर अपने दोस्तों को गिफ्ट कर देते थे.
वैसे भाटिया जी की सलाह भी अच्छी है थोड़ी महँगी ज़रूर है
हाँ रामपुरिया जी की सलाह में तेजाब की धार है - अपना सकते हैं.
आप सभी के सुझावों के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
स्वाधीनता दिवस की शुभकामनाएं! वंदे मातरम!
paramjat jee mein vi aapki hi tarah pipal ki satai hui hu. hamne to pipal ko jad se ukharne ke baab waha par tezab dalwa kar siment bharwa diya par jane kaise we wahan v prakat hojaten hain
ek kahaani hai ped uper se chhamtne par khatm nahi hote abki baar jahaan rahne ko jaaye dekhen kauve us ghar ke upar baithe na
pipal kaa beej kauve ki vishthaa ke saath panaptaa hai
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