
एक बार एक गाँव के पास शास्त्रीय संगीत सम्मेलन हो रहा था। उस सम्मेलन में बड़े-बड़े संगीतज्ञ अपना गायन सुना रहे थे।एक बहुत बड़े संगीतज्ञ्य ने जब अपना गायन शुरू किया तो कुछ ही देर के बाद वहाँ गाँव की बैठी एक बुढिया ने पहले तो सिसकियां लेनी शुरू कर दी.... फिर जैसे -जैसे गायन तेज होता गया वह सुबकनें लगी...जब गायन और चरम पहुँचा तो वह जोर-जोर से रोनें लगी। यह सब देख कर वहाँ बैठे अन्य संगीज्ञयों ने उस बुढीया से रोनें का कारण पूछा तो उसनें कहा कि कुछ दिन पहले उस का एक बहुत प्यारा बकरा मर गया था। इस पर उन्होनें पूछा बकरा तो कुछ दिन पहले मरा था, लेकिन तुम अब क्यों रो रही हो? उस बुढिया ने बताया कि मेरा बकरा भी मरनें से पहले ऐसे ही शोर मचा- मचा रहा था, जिस तरह यह गानें वाला मचा रहा है। इसी लिए मुझे रोना आ रहा है। क्यों कि मुझे लगता है अबयह भी.......
4 टिप्पणियाँ:
सही है.....बंधू.....
बिलकुल सही लिखा हे आज कल के गाने वाले सच मे ऎसे ही शोर मचाते हे.... मजा आ गया
धन्यवाद
वाह वाह परमजीत जी मेरे ब्लॉग पर पधारने हेतु पुन: आमंत्रण है
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