Sunday, October 11, 2009

बागी सामंत कौन.???

\    Buhjo to jaane\

7 टिप्पणियाँ:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

वाह...!
वाली जी, बेहतरीन है आपका यह व्यंग्य।

Kamlesh Sharma said...

Wow.....Good

सदा said...

बहुत ही बढिया ।

रामकुमार अंकुश said...

क्या कहना! बहुत खूब!

Mumukshh Ki Rachanain said...

बढ़िया रहा आपका यह व्यंग.

हार्दिक बधाई.

गज़ब पहेली भैया बुझी है अब
हमें नहीं मालुम, नर या नारी,
अगर हसें हा, हा हा तो नर
और ही, ही, ही तो समझो नारी.

चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com

अजय कुमार said...

kartoon bada chintit lag raha hai

निर्मला कपिला said...

वाह बाली जी ये एक न्या विश्य हो गया चर्चा का क्या बुझारत डाली है? क्या इन दोनो के बीच वाला नहीं हो सकता? हा हा हा

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