Tuesday, October 28, 2008

चंद मुक्तक

सिर्फ यादो के सहारे जो जिया जाता।
बिन सुई-धागे गर कुछ सिया जाता
जिन्दगी कितनी हसीं हो जाती,
रोशन बिना बाती ये दीया होता।

******

याद उनकी जब भी आती है|
बेवफा थे, यही बताती है |
भूलना फिर भी उनको मुश्किल है,
यही बात हमको सताती है|

*******

याद उनकी क्यों जाती ही नही |
आँख को
कोई शै भाँती ही नही।
या रब बता ये माज़रा क्या है,
अपने लिए बहार आती ही नही।

********

1 टिप्पणियाँ:

Vinaykant Joshi said...

बहुत अच्छे शब्द है,
दीपावली की शुभकामनाये |
सादर,
विनय के जोशी

Post a Comment