Saturday, October 11, 2008

कश्मीर हम और हमारे नेता

पहले कश्मीर अब असम में भी पाक झंडा उठाया जा रहा है।हमारे देश के कर्ण धार वोटों की राजनिति की खातिर आँखें बन्द किए बैठे हैं।हम तो बस सिर्फ विरोध चीख ही सकते हैं,लेकिन क्या हमारे चिल्लानें का असर हमारे देश के कर्णधारों पर कभी पड़ता है?

चंद सिरफिरों की हरकतें,चंद सिरफिरों का जनून।
बर्बाद कर रहा है, मेरे देश का कानून।
वोट की खातिर, मेरे नेता असूल बदलें,
लगता है धीरे-धीरे सफेद हो रहा है खून।

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कुर्सियों की खातिर जलवा रहे तिरंगा।
शर्म नही आती,रोज हो रहा है दंगा।
जा कर इन्हें जगाओ,बेगैरतों को,
देश का ये नेता क्यूँ, सोच से है नंगा।

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9 टिप्पणियाँ:

विनय राजपूत said...

kya bata hai .. mai kya kahoo bas etana hi kahoo gaa ki .............
बहुत ही अच्छा ... समय निकल कर मेरी नई रचनाए पर भी पधारे

Smart Indian said...

"जा कर इन्हें जगाओ,बेगैरतों को"
...बहुत खूब!

आत्महंता आस्था said...

Desh ki akhandata aur akshunnata se rajnitigyon ko koi lena dena nahi. bas satta aur
kursi ke liye tikadam karte rahte hain ye. solah aane sachchi baat kahi hai aapne.

राज भाटिय़ा said...

यह बीज इसी काग्रेस का बीजा हुआ है, हमारे प्यारे चाचा जवाहर लाल नेहरू जी ने यह वीज अपने हाथो से बोया था, ओर काग्रेस इसे पानी ओर खाद देती आई है, ओर अब तो कोई माई का लाल ही इसे काट सकता है.
धन्यवाद

रश्मि प्रभा... said...

bahut achhi lagi rachna

अभिषेक मिश्र said...

Achi hai rachna aapki. Swagat mere blog par bhi.

प्रदीप मानोरिया said...

हमेशा की तरह बेहतरीन रचना के लिए धन्यवाद आपके आगमन के लिए भी धन्यबाद मेरी नई रचना कैलंडर पढने हेतु आप सादर आमंत्रित हैं

परमजीत सिहँ बाली said...

आप सभी का धन्यवाद।

Aruna Kapoor said...

Ati uttam rachana!

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