नोट:- यह एक हास्य कविता है कोई इसे अन्यथा ना ले।
सुबह उठते ही
पत्नी चिल्लाई-
आज करवा चौथ है,
आज मेरा व्रत है।
हम मन मे सोच रहे थे।
क्यूँ हरेक पति
अपनी अपनी बीबी से त्रस्त है।
बीबी ने शायद
हमारे मन की बात पढ ली-
बोली-
तुम्हारी लम्बी उमर के लिए
यह व्रत करती हूँ।
तुम्हारे लिए ही तो
सारा दिन भूखी मरती हूँ।
हम मन में सोच रहे थे
हमारे लिए कहाँ...?
यह व्रत अपने सुख के लिए करती हो।
जब तक हम जिन्दा हैं
तभी तक यह ठाठ करती हो।
हमारे जानें के बाद
यह बहुएं और बैटे
तुम्हे रोज जबरद्स्ती व्रत करवाएंगे।
उस समय हम तुम्हें बहुत याद आएगें।
3 टिप्पणियाँ:
लिखने से पहले ही डर रहे हो बाली साहब !
बाली साहब बहुत ही बेहतरीन व्यंग है !!!!!!!!!
बाली बही.. बहुत सुन्दर क्या तड़का मारा है... दाल में
अब तो दाल भी काली नहीं रही. .. बहुत अच्छा व्यंग है ..
धन्यवाद ...
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